पुर्ननवाया मूलं तु शुभ्रं गोघतमिश्रितम् ।
अंजितं हरति क्षिप्रं नेत्रान्तोरगता रूज: ।।
पुर्ननवाया मूलं तु शुभ्रं गोघतमिश्रितम् ।
अंजितं हरति क्षिप्रं नेत्रान्तोरगता रूज: ।।
सफेद पुनर्नवा की जड़ को गाय के घी में मिलाकर बनाया गया अंजन (काजल) नेत्र से सम्बन्धित रोगों को शीघ्र ही हर लेता है ।
हालांकि मैंने आयुर्वेद नहीं पढ़ा है फिर भी इस छन्द का भावार्थ प्रायः यही होना चाहिये ।
Isme kya karna hai vo battayen, kya anuvad karna hai ??
समय : 10:43:59 | दिनाँक : 28/08/2020