संस्कृत में लिंगों की पहचान आसान नहीं है । इसे केवल शास्त्राभ्यास से ही जाना जा सकता है । हालाँकि प्राथमिक स्तर के लिये कुछ जुगाड़ है । किन्तु यह सदैव काम नहीं करता । <br />
अधिकतर पुंल्लिंग शब्दों के पीछे विसर्ग रहता है यथा – रामः‚ हरिः‚ गुरुः<br />
अधिकतर स्त्रीलिंग शब्दों के अंतिम स्वर दीर्घ होते हैं यथा – रमा‚ नदी‚ वधू<br />
अधिकतर नपुंसकलिंग शब्दों के पीछे या तो &quot;म्&quot; होता है या छोटे स्वर होते हैं यथा – फलम्‚ मधु‚ करि<br />
किन्तु ये जुगाड़ सदैव काम नहीं करते हैं अतः शास्त्राभ्यास ही उपाय है ।
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अधिकतर पुंल्लिंग शब्दों के पीछे विसर्ग रहता है यथा – रामः‚ हरिः‚ गुरुः<br />
अधिकतर स्त्रीलिंग शब्दों के अंतिम स्वर दीर्घ होते हैं यथा – रमा‚ नदी‚ वधू<br />
अधिकतर नपुंसकलिंग शब्दों के पीछे या तो &quot;म्&quot; होता है या छोटे स्वर होते हैं यथा – फलम्‚ मधु‚ करि<br />
किन्तु ये जुगाड़ सदैव काम नहीं करते हैं अतः शास्त्राभ्यास ही उपाय है ।