सत्यमेव जयते। यहा जयते व्याकरण दृष्टी से कैसे योग्य है?
समय : 11:39 PM | दिनाँक : 09/06/2021सत्यमेव जयति नानृतम् – यह मुण्डकोपनिषद् का वाक्य है । जयति शब्द जि धातु से लट् लकार प्र.पु. एकवचन में बनता है । क्यूँकि जि धातु नित्य परस्मैपदी है इसलिये जयते शब्द अशुद्ध है ।
जयते शब्द केवल वि और परा उपसर्ग पूर्वक ही आत्मनेपदी रूप में विजयते और पराजयते बनेगा ।
इस तरह शुद्ध वाक्य है – सत्यमेव जयति अथवा सत्यमेव विजयते ।