वाग् यानम्

प्रश्नकर्ता: Kailash paliwal | 09/01/2021 | 09:55 AM
Bhavarth

यानमेकं पश्यतु भो लाभा अस्य असंख्य भो पापयति एतत् लयं भो साधयति एतत् कार्य भो
टिप्पणियाँ
डॉ. विवेकानन्द पाण्डेय10/01/2021 | 10:54 AM
यानमेकं पश्यतु भो लाभा अस्य असंख्य भो पापयति एतत् लयं भो साधयति एतत् कार्य भो<br />
<br />
किसी कविता की पंक्ति सी लग रही है यह रचना<br />
इसका अर्थ निम्नवत् है &ndash; <br />
यानम् एकं पश्यतु भो ! &ndash; अरे ! वो गाड़ी देखो (एक गाड़ी देखो)<br />
लाभा अस्य असंख्य भो &ndash; इसके अनगिनत लाभ हैं<br />
प्रापयति एतत् (आ)लयं भो &ndash; यह घर तक पहुँचाती है<br />
साधयति एतत् कार्यं भो &ndash; यह (सारे) काम बनाती है<br />
<br />
उक्त पंक्ति में कुछ वर्तनी दोष लग रहा था&sbquo; उसे सही करके उसका अर्थ दिया है । यदि वर्तनीदोष न मानें तो अर्थ बदल भी सकता है ।